नैतिक शिक्षा भाग -१


व्यक्ति के निर्माण और समाज के उत्थान में शिक्षा का अत्यधिक महत्वपूर्ण योगदान होता है । प्राचीन काल की भारतीय गरिमा ऋषियों द्वारा संचालित गुरुकुल पद्धति के कारण ही ऊँची उठ सकी थी । पिछले दिनों भी जिन देशों ने अपना भला-बुरा निर्माण किया है, उसमें शिक्षा को ही प्रधान साधन बनाया है । जर्मनी, इटली का नाजीवाद, रूस और चीन का साम्यवाद, जापान का उद्योगवाद, यूगोस्लाविया, स्विटजरलेंड, क्यूबा आदिने अपना विशेष निर्माण इसी शताब्दी में किया है । यह सब वहाँ की शिक्षाप्रणाली में क्रातिकारी परिवर्तन लाने से ही सभव हुआ । व्यक्ति का बौद्धिकऔर चारित्रिक निर्माण बहुत करके उपलब्ध शिक्षा प्रणाली पर निर्भर करता है । व्यक्तियों का समूह ही समाज है । जैसे व्यक्ति होंगे वैसा ही समाज बनेगा ।किसी देश का उत्थान या पतन इस बात पर निर्भर करता है कि इसके नागरिक किस स्तर के है और यह स्तर बहुत करके वहाँ की शिक्षा-पद्धतिपर निर्भर रहता है ।

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