गायत्री चालीसा

गुरु वन्दना

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एक तुम्हीं आधार सद्गुरु।
एक तुम्हीं आधार॥
     जब तक मिलो न तुम जीवन में।
    शान्ति कहाँ मिल सकती मन में॥
खोज फिरा संसार सद्गुरु।
एक तुम्हीं आधार सद्गुरु॥१॥

    कैसा भी हो तैरन हारा।
    मिले न जब तक शरण-सहारा॥
    हो न सका उस पार सद्गुरु॥
    एक तुम्हीं आधार  सद्गुरु॥२॥
हे प्रभु तुम्हीं विविध रूपों में।
हमें बचाते भव कूपों से॥
ऐसे परम उदार सद्गुरु।
एक तुम्हीं आधार सद्गुरु॥३॥

    हम आये हैं द्वार तुम्हारे।
    अब उद्धार करो दुःखहारे॥
    सुन लो दास पुकार सद्गुरु॥
    एक तुम्हीं आधार सद्गुरु॥४॥

छा जाता जग में अंधियारा।
तब पाने प्रकाश की धारा॥
आते तेरे द्वार सद्गुरु।
एक तुम्हीं आधार सद्गुरु॥५॥
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