जो सशक्त है-वह सूक्ष्म है, स्थूल तो उसका आवरण मात्र है। काया को हम देख
पाते हैं और मनुष्य को उसके कलेवर के रूप में ही पहिचानते हैं, पर असली
चेतना तो प्राण हैं, जो न तो दिखाई पड़ता है और न उसका स्तर सहज ही समझ में
आता है। जो सूक्ष्म है-वही शक्ति का स्रोत है, उसे समझने और उपभोग करने के
लिए गंभीर लक्ष्य वेधक दृष्टि चाहिए।