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Akhand Jyoti
Year 2003
Version 1
हरीतिमा - संवर्द्धन...
हरीतिमा - संवर्द्धन से ही शांत होगी उद्वि्न मनःस्थिति
November 2003
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Page Titles
जीवन जीने की कला
सफलता हेतु दिब्य प्रभावी सात सूत्र
कैसे बचें आधुनिक जीवनशैली के अभिशापों से
प्रभु का सान्निध्य
नूतन भारत का भविष्य - युवाशक्ति
न हि गायत्री समो मंत्रः
विचित्र - विलक्षण - चमत्कारी झीलें और नदियाँ
संयुक्त परिवार का नया मॉडल बनेगा, जीवनमूल्य लौटेंगे
मानवी मन: एक कल्पवृक्ष
भावनाओं से ओतप्रोत वनस्पति जगत
बणिक - बुद्धि बनाम भाव - जगत
साकार होगा आध्यात्मिक साम्यवाद का स्वप्न
आत्मसत्ता की गौरव - गरिमा
उच्च भावभूमि से होता है विचार - संप्रेषण
हरीतिमा - संवर्द्धन से ही शांत होगी उद्वि्न मनःस्थिति
प्राणपुञ्ज मनुष्य ! तू किसी से मत डर
अंतःउर्जा का सुनियोजन हो
यज्ञोपचार द्वारा रतिज रोगों की सरल चिकित्सा
पादौ ते देवि संश्रये
शिष्य सञ्जीवनी - 5, देकर भी करता मन, दे दें कछु और अभी
अंतर्जगत की यात्रा का ज्ञान - विज्ञान सबीज समाधि से मन की समाप्ति की ओर
गुरु गीता - 16, गुरु चरणें की रज कराए भवसागर को पार
परमपूज्य गुरु देव की अमृतवाणी, समस्त सिद्धियों का आधार तप- 1
युगगीता - 49, योगारूढ़ होकर ही मन को शांत किया जा सकता है
चेतना की शिखर यात्रा - 21, हिमालय से आमंत्रण - 2
गुरु कथामृत - 49, सूक्ष्मरूपधारी गुरु सत्ता की महिमा भरे दृष्टांत
अपनों से अपनी बात-इस ज्ञानगङ्गा के प्रवाह को अवरु द्ध न होने दें
देवसंस्कृति की वेदना (कविता) -मंगल विजय
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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