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Akhand Jyoti
Year 2000
Version 1
श्रीमन्त वर्ग ः...
श्रीमन्त वर्ग ः धन सम्पदा विव के भावनात्मक नवनिर्माण में लगे
Octuber 2000
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Page Titles
अँधेरे की चिन्ता छोड़ो, प्रकाश को प्रदीप्त करो
विभूतियाँ दें अपनी सार्मथ्य का र्अघ्य
विभूतियों का महाजागरण ही लाएगा नवयुग
भावनाक्षेत्र-धर्मतन्त्र
भावनाप्रधान धर्मतन्त्र नवसृजन के लिए संकल्पित हो
शिक्षा एवं साहित्य
जाग्रत् युगमनीषा ही करेगी लोकमानस का नवनिर्माण
कला ः कला की देवी गौरवमय रूप में प्रतिष्ठित हो
शासन तन्त्र ः राजतन्त्र की क्षमता राष्ट्र के नवोन्मेष हेतु नियोजित हो
श्रीमन्त वर्ग ः धन सम्पदा विव के भावनात्मक नवनिर्माण में लगे
वैज्ञानिक वर्ग ः युग का आस्थासंकट दूर होगा तो इन्हीं प्रतिभाओं से
परिष्कृत प्रतिभा वर्ग
परिष्कृत प्रतिभाएँ युगदेवता के चरणों में अर्पित हों
सन्तवाणी-स्वामी रामतीर्थ ः राष्ट्र की आत्मा को उबारने वाला वेदान्त
कारगिल का वह नन्हा शहीद
यम-नियम-३ (अस्तेय) ः कर्तव्य-कर्म पूरा करने के बाद ही विराम
बुद्धि की प्रखरता बढ़ाने वाले कुछ आर्युवेदिक प्रयोग
मानवी विद्युत् का सुनिश्चित जागरण
जीवन्त विभूतियों से भावभरी अपेक्षाएँ-अमृतवाणी
नवरात्रि शक्ति उपासना पर्व
युगगीता-१७ ः आत्माभिमान छोड़कर ही बना जा सकता है कर्मयोगी
गुरुकथामृत
जीवन्त प्राणवान शब्द जो संजीवनी का कार्य करते हैं
गुरुसत्ता के स्फुट विचार ः शान्तिकुंज गायत्री तीर्थ क्या है?
अपनों से अपनी बात-१
प्रतिभाओं से इस विभूति ज्ञानयज्ञ के माध्यम से अपेक्षाएँ
अपनों से अपनी बात-२
बारहवर्षीय महासंकल्प की महापूर्णाहुति आ पहुँची
विराट् महापूर्णाहुति यज्ञ के भागीदारों के लिए कुछ अनुशासन-अनुबन्ध
विभूतिवानों को आमन्त्रण (कविता)
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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