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Akhand Jyoti
Year 1999
Version 1
रूपान्तरण ऊर्ध्वमुखी हो...
रूपान्तरण ऊर्ध्वमुखी हो
June 1999
Read Text Version
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Page Titles
आस्था है दृढ़ विवेक युक्त आस्था की
सही अर्थों में उपदेशक
जानें ध्यान के मर्म व उसके लाभों को
प्रज्वलित हुआ वैराग्य
सच मानिए , हम अकेले नहीं हैं
असफलताएँ खोलती हैं सफलताओं का द्वार
भक्ति की अग्नि परीक्षा
आत्मसत्ता की महिमा हमने ना जानी
'स्व' में अधिष्ठत होने की विशिष्ठ साधना
अप्प दीपो भव
कैसे हो शब्दब्रह्म की साधनासिद्धि
महायज्ञैश्च यज्ञैश्च ................
निष्काम कर्मयोगी
सूत्र - संचालक के दिव्यप्राण की संवाहक - अखण्ड ज्योति
युगपुरुष की लेखनी से ................
ज्योतिष से परे होता है एक मुक्त- पुरुष
नारी के समग्र विकास में ही पुरुष का हित
मनोव्यथाएँ न पालें , आँसु बहा लें
आपका स्वास्थ्य अर्युवेद के मतानुसार
युग गीता - २
परम पूज्य गुरुदेव की अमृतवाणी
अखण्ड- ज्योति आज से पचास वर्ष पूर्व
रूपान्तरण ऊर्ध्वमुखी हो
लोकसेवियों के लिए दिशाबोध - १ अपने अंग- अवयों से
गायत्री जंयती के संदर्भ में विशेष लेख - आराध्य सत्ता की पुण्य तिथि पर सच्ची श्रद्धांजलि यह हो
अपनों से अपनी बात
गुरुवर के स्वप्नों का साकार रुप - शांतिकुंज
गुरुसत्ता की पाती शिष्यों के नाम (कविता) -शचीन्द्र भटनागर
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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