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Akhand Jyoti
Year 1996
Version 1
परम पूज्य गुरुदेव...
परम पूज्य गुरुदेव की अमृतवाणी- वसंत की वेला में गुरुवर की वासन्ती सन्देश
February 1996
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Page Titles
धारा को चीरकर चल पड़ने जैसा पराक्रम
अद्भुत और विलक्षण है यह सृष्टि
वे हमारी धरती का द्वार खटखटा रहे हैं
अध्याम्-दशर्न का मर्म
आत्मा पथिक-काया सराय
कुछ अनसुलझी गुत्थियाँ
जिन प्रेम कियो तिनहिं प्रभु पायौ
मन्त्र साधनाः आधार और चमत्कार
श्रम की सुगन्ध
ब्रह्माण्डीय चेतन प्रवाह के अंशधर हम सब
संवेदना की टीस बदल रही है प्रचलन
ओजस्, तेजस् ब्रह्मवचर्स्
सूर्य-किरणों में है विलक्षण सामर्थ्य
जीवन जीने की कला सिखाए, वह है अध्यात्म
भजन, मनन और चिंतन की त्रिवेणी
आइए, मिल-जुल कर जीना प्रकृति से सीखें
दिव्य औषधियों से होता है आध्यात्मिक कायाकल्प
कुमारिल भट्ट और उनका प्रायश्चित्त
तेजपुंज ज्योति अवतरण की साधना
सामगान, सामवेद का ज्ञान क्यों है अनिवार्य?
मानव जीवनः एक प्रवा ही तो है
पुनप्रर्काशित विशेष लेखमाला-८ लोकसेवी का दृष्टिकोण औरज जीवन नीति
अ. आगत का स्वागत (कविता)-मंंगल विजय, ब. एक ही रास्ता (कविता)-शचीन्द्र भटनागर
परम पूज्य गुरुदेव की अमृतवाणी- वसंत की वेला में गुरुवर की वासन्ती सन्देश
एक विशेष लेख, विदाई की घड़ियाँ और गुरुदेव की व्यथा वेदना-२
अपनों से अपनी बात- रजत जयंती वर्ष में अनुयाज महाक्रान्ति का शंखनाद, महाकाल के घोंसले का परिजनों को भावभरा सन्देश
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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