Loading...
All World
Gayatri Pariwar
Get App
Books
Magazine
Language
English
Hindi
Gujrati
Kannada
Malayalam
Marathi
Telugu
Tamil
Stories
Collections
Articles
Open Pages (Folders)
Kavita
Quotations
Visheshank
Quick Links
Book Catalog
Whats New
Downloads
Write to Us
Login
Akhand Jyoti
Year 1994
Version 1
परिवर्तन की प्रसव...
परिवर्तन की प्रसव पीड़ा
April 1994
Read Text Version
<<
|
<
|
|
>
|
>>
<<
|
<
|
|
>
|
>>
Write Your Comments Here:
Page Titles
परिवर्तन की प्रसव पीड़ा
वारी तेरे नाउँ पर जित देखूँ तित तू
हवा युग परिवर्तन के अनुकूल ही बह रही है
प्रयास यांत्रिक नहीं चेतनात्मक उत्कर्ष की दिशा में चले
दरिद्रता की दवा पारस नहीं
मनुष्य है, जीता-जागता एक बिजली घर
हर जीवात्मा के लिए सुनिश्चित एक साधना-समर
संयम बरतें, सम्पन्न बनें
सनकों से भरी ये वसीयतें
शरीरमाद्यम् खलु धर्म साधनम्
शरीरमाद्यम् खलु धर्म साधनम्
मांगलिक प्रतीकः स्वस्तिक
नरमेध यज्ञ
गायत्री छन्दसामहम्
मानवी व्यक्तित्व के सूक्ष्मतम सूत्रधार
दृश्यमान वैभव-विस्तार ही सब कुछ नहीं
विपन्नताओं से उबरने का एक मात्र उपचार
नर-पिशाचों की नृशंसताएँ
प्रशिक्षण से प्रतिभा परिष्कार सम्भव
मूर्त्तिकार की तरह गढ़ता है, गुरु
सौम्य, निरापद दक्षिणमार्गी-साधना ही श्रेयस्कर
जीवन ऊर्जा का अनावश्यक अपव्यय रोकें
नवयुग की गंगोत्री, जिसमें भरी है विशिष्ट प्राणऊर्जा
संस्कृति-संदेश, मातृ-वंदना
परम पूज्य गुरुदेव की अमृतवाणी (६ अप्रैल १९७६ को शान्तिकुञ्ज परिसर में दिया गया-उद्बोधन)
यज्ञ ऊर्जा के बहुआयामी लाभ
धारावाहिक विशेष लेखमाला-१३, युग पुरुष पूज्य गुरुदेव
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
See More