Loading...
All World
Gayatri Pariwar
Get App
Books
Magazine
Language
English
Hindi
Gujrati
Kannada
Malayalam
Marathi
Telugu
Tamil
Stories
Collections
Articles
Open Pages (Folders)
Kavita
Quotations
Visheshank
Quick Links
Book Catalog
Whats New
Downloads
Write to Us
Login
Akhand Jyoti
Year 1991
Version 1
उगोगे, उठोगे तब...
उगोगे, उठोगे तब जप गलना सीखोगे
September 1991
Read Text Version
<<
|
<
|
|
>
|
>>
<<
|
<
|
|
>
|
>>
Write Your Comments Here:
Page Titles
उगोगे, उठोगे तब जप गलना सीखोगे
दुखी की पीड़ा
ईश्वर विश्वास और उसके फलितार्थ
ऋद्धि-सिद्धियों का उद्घाटन कैसे हो अंतराल में
स्रष्टा के अनुदानों की उपेक्षा न हो
सम्पन्नता नहीं महानता का वरण करें
मरण एक बदलाव मात्र
धर्म के शाश्वत स्वरूप को समझे बिना गति नहीं
भाव के भूखे हैं भगवान्
सिद्धियाँ पवित्र अन्तःकरण में जन्मती हैं
प्रत्यक्ष के गर्भ में छिपी रहस्यमयी ध्वनियाँ
मस्तिष्क की चित्र-विचित्र कार्य प्रणाली
दैनिक जीवन की गायत्री उपासना
एक विभूति जो गंगा में समा गई
तर्क ही नहीं विवेक भी
चेतना क्षेत्र की सुधी ली जाय
चिर यौवन का रहस्य
मानवी गरिमा की गौरव भरी उपलब्धियाँ
गायत्री साधना एवं ब्राह्मणत्व
प्रतीकोपासना मनोविज्ञान
नीतिमत्ता की जीवन में महत्ता
ठोस एवं सुनिश्चित प्रगति का राजमार्ग
स्मरण शक्ति की कुंजी अपने हाथ में
सादगी सज्ज्नता की पोशाक
दिव्य-शक्तियों के हस्तान्तरण की प्रक्रिया
परम पूज्य गुरुदेव की अमृतवाणी-साधना से सिद्धि
दिव्य अनुदानों हेतु एक महत्त्वपूर्ण सुयोग
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
See More