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Akhand Jyoti
Year 1986
Version 1
जादू चम्त्कारो के...
जादू चम्त्कारो के प्रद्र्र्शन की आवशकता क्यो
May 1986
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Page Titles
शान्ति ओर सोन्दर्य को अपने खोजे
प्राणायाम ओर मनोनिग्रह
महानता के प्रति समर्पण
शाशवत अपरिवर्तनशील स्वरुप
अनुसरण महामानवो का करे
मनस एक कल्पव्रश
मनुश्यो की आक्रति एक प्रक्ति चार
प्राणायाम की आरभिक विधि व्यवस्था
सत्सग किनका व केसे
नाम जप की साधना
जन्मभूमि मे रहे या अन्यत्र जा बसे
भविशय गदने मे प्रसन्न्ता की भूमिका
आधिकार ओर अनुशासन
विदेशो मे पुनर्जन्म मान्यता
सस्कार जन्म जन्मातरो तक सथ च्लते हे
स्थूल शरीर की सीमित शक्ति
जादू चम्त्कारो के प्रद्र्र्शन की आवशकता क्यो
शुद् पन्चाड
सस्क्र्ति ओर उसकी विवेच्ना
प्र्थ्वी फ़िर स्वर्गोपम बनेगी
मूर्ख निकले जो सममदार बनते हे
कुछ् विचित्र् घटनाक्रम
क्या महाविनाश् की पुनराव्र्ति होगि
इक्किसवी सदी नारी शाताब्दी
युग चेतना जुडे
पचकोशो की सावित्री साधना
अपनो से अपनी बात
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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