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Akhand Jyoti
Year 1986
Version 1
त्राताओ की भूमिका...
त्राताओ की भूमिका दाताओ से उची
January 1986
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Page Titles
विचारणा की पारसमणि
धर्मोपदेश ही नहीं अधर्म से संघर्ष भी
तत्त्वज्ञान का प्रथम सूत्र
त्रिविधि बधन ओर उनसे मुक्ति
मन को कुसस्कारी न रहने दिया जाय
वातावरण बनाम वरिस्ट्ता
अध्यात्मवाद के फ़लितार्थ
ध्यान योग पर वेज्ञानिक अन्वेशण
जीभ एक वाणियाँ चार
अलेकिक सिदिया
चोरासी लाख योनियो का परिभ्रमण
किशोर भी प्रोण होते हे
तन्मयता बनाम प्रतिभा
जीवन को वातानुकूलित रखा जाय
मूल बन्ध उडियान बध ओर जालधर बध
तेजोवलय अथवा वायोज्मा
हारमोन्स जीवन कम के रहस्य भरे स्नाव
मस्तिकीय सरचना
सदुपयोग ओर दुरुपयोग
आत्म सता का अस्तित्व
क्या प्रथ्वी भी प्ल्टो बनने जा रही हे
आत्म सता का अस्तित्व
क्या प्रथ्वी भी प्ल्टो बनने जा रही हे
पूवाभास अन्धविशवास नही हे
मरण सजन का उल्लास भरा पर्व
बिना संपन्नता के भी संतोष का अनुभव
उदारता के साथ सतर्कता भी बनाये रहे
पत्नी व्रती पशु पशी
नारी नर बनने जा रही हे
हर परिसथिति के लिए तेयार रहे
अचानक लुप्त होने वाली वस्तुए
भावनाओ को तरगित करने मे
योगसनो से विभिन्न व्याधियो का उपचार
धारावाहिक विशेष लेखमाला— गायत्री और सावित्री की एकता और पृथकता
त्राताओ की भूमिका दाताओ से उची
अपनों से अपनी बात— हीरक जयंती और दो अभूतपूर्व कदम
वर्तमान साधे
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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