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Akhand Jyoti
Year 1982
Version 1
अन्तराल के मर्मस्थल...
अन्तराल के मर्मस्थल का प्रभावी परिशोधन
November 1982
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Page Titles
मनीषा तप- तितीक्षा में तपे और खरी उतरे
कल्प साधना पृष्ठभूमि और विधि व्यवस्था
उच्चस्तरीय प्रयोजन के लिए उपयुक्त वातावरण
आहार तपश्चर्या के चमत्कारी परिणाम
आहार साधना एक महत्त्वपूर्ण तपश्चर्या
साधना ही नहीं, जीवन निर्माण का अनुपम शिक्षण भी
प्रशिक्षण में समग्र उत्कर्ष के बीजाङ्कुर
नियमित रूप से चलने वाली प्रज्ञायोग साधना
प्रज्ञायोग की आत्मबोध, तत्वबोध प्रक्रिया
कल्प साधना का क्रियापक्ष
त्रिविधि मुद्राएँ और उनकी प्रतिक्रियाएँ
तीन विशिष्ट प्राणायाम और उनके प्रतिफल
कल्प साधना के सरल किन्तु महत्वपूर्ण तीन योगाभ्यास
अन्तराल के मर्मस्थल का प्रभावी परिशोधन
भावी जीवन पंचशीलों के साथ जुडे़
तीर्थ सेवन और कल्प साधना का सार्थक समन्वय
प्रायश्चित और उत्कर्ष के लिए ज्ञान- यज्ञ का प्रज्वलन
छोटी बीजारोपण की सुविस्तृत परिणति
दिव्य अनुदान की ध्यान धारणा
विज्ञान और धर्म
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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