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Akhand Jyoti
Year 1982
Version 1
शान्तिकुञ्ज की अभिनव...
शान्तिकुञ्ज की अभिनव सत्र- व्यवस्था
April 1982
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Page Titles
धर्म धारणा का संशोधन एवं श्रद्धा का अभिवर्धन इस युग की मूलभूत आवश्यकता
प्रतीकोपासना एवं ध्यान प्रक्रिया कि पृष्ठभूमि
कुण्डलिनी योग प्रारम्भिक स्वरूप एवं प्रयोग
सिद्धि सामर्थ्य से भरपूर शरीर संस्थान
उपासना की फलश्रुति परिष्कृत एवं विभूति सम्पन्न व्यक्तित्व
आत्मिक पुरुषार्थ हेतु समर्थ अवलम्बन की अनिवार्यता
उच्चस्तरीय साधना के सहयोगी उपक्रम आसन, मुद्रा, बंध
प्राणाकर्षण प्राणायाम से संकल्प बल का अभिवर्धन
नाडीशोधन शोधन प्राणायाम से सूक्ष्म शरीर का परिशोधन परिमार्जन
सूर्य वेधन प्राणायाम से सूक्ष्म शक्ति केन्द्रों का जागरण
काम बीज का उन्नयन ज्ञान बीज में परिवर्तन
शारीरिक, मानसिक विश्रान्ति की प्रक्रिया शिथिलीकरण
शान्तिकुञ्ज की अभिनव सत्र- व्यवस्था
शान्तिकुञ्ज की अभिनव सत्र- व्यवस्था
अपनों से अपनी बात
मलाई को तैरकर ऊपर आने का आमन्त्रण
साधना की सफलता का रहस्य -- वृत्ति शोधन
अज्ञान का निराकरण
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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