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Akhand Jyoti
Year 1981
Version 1
उद्धत महत्वाकांक्षाएँ अवांछनीय
उद्धत महत्वाकांक्षाएँ अवांछनीय
November 1981
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Page Titles
सदाशयता का प्रतिभाओं को आमन्त्रण
मनसैव कृतं पापं न वाण्या न च कर्मणा
प्रेम और मोह का आधारभूत अन्तर
अन्तरात्मा-परमात्मा का प्रतीक प्रतिनिधि
आस्तिकता जीवन की अनिवार्य आवश्यकता
ईश्वर एक है- उसे एक ही रहने दें
अन्त:करण का विकास और उज्ज्वल भविष्य
अन्त:करण का विकास और उज्ज्वल भविष्य
प्रगति के लिए मनुष्य को हर सुविधा उपलब्ध
युग समस्याओं से निपटने के लिए विज्ञान और अध्यात्म का सहयोग आवश्यक
यह समूचा ब्रह्माण्ड फैल और फूल रहा है
सूर्य कलंकों का अपनी दुनिया पर प्रभाव
बलिदान जो सार्थक हो गया
धरती से लोक-लोकान्तरों का आवागमन मार्ग
ये अप्रत्याशित घटनाएँ क्यों ?
बुद्धि न सर्वज्ञ है और न ही सर्व समर्थ
उद्धत महत्वाकांक्षाएँ अवांछनीय
जीवन दर्शन के तीन स्वर्णिम सूत्र
जीवन देवता की आराधना और उपलब्धि
मनुष्य से महान और कुछ नहीं
षट्-चक्रों की स्थिति एवं जागरण से उपलब्धि
आहार की भ्रान्तियाँ और उनका निवारण
रुग्णता हमारी ही उच्छ्खंलता का प्रतिफल
अपनों से अपनी बात
अध्यात्म का स्वरुप
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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