मैं मुफ्त में पैसे नहीं लिया करता (Kahani)

January 1996

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फ्राँसीसी गायिका मेलिथाँन के पास एक बार एक फटे हाल व गरीब लड़का आ गया। मेलिथाँन उसे देखकर द्रवित हों गयी और बोली - “बेटे ! तुम्हारा क्या नाम और क्या काम हैं ?” जी मेरा नाम पियरे है और मैं एक निवेदन करने आया हूँ .......... मेरी माँ रुग्ण हैं, न तो उसका इलाज कराने के लिए मेरे पास पैसे है और न ही मैं दवा तथा पथ्य खरीद सकता हूँ। “ अच्छा तुम्हें आर्थिक सहायता चाहिए। बताओ कितने पैसे दे दूँ। ” मेलिथाँन ने पियरे की बात को बीच में ही काटकर कहा। “ “जी नहीं “ पियरे बोला- “ मैं मुफ्त में पैसे नहीं लिया करता। मैं तो यह निवेदन करने आया था कि मैंने एक कविता लिखी है। आप उसे संगीत सभा में गाने की कृपा करें। उसके बाद जो उचित समझें दें दे। ”

मेलिथाँन बड़ी प्रभावित हुई। अगले दिन जलसे में उसने यह कविता गायी। करुणा स्वरों में गायी गई वह कविता सुनकर श्रोताओं की आंखें भर आई॥। उस कविता पर कई लोगों ने अच्छा पुरस्कार दिया। मेलिथाँन सारी एकत्रित धनराशि लेकर पियरे की रुग्ण माँ के पास पहुँची उसका हकदार पियरे को ही बताते हुए सब की सब राशि पियरे को ही दे दी।


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