യോഗ - ധ്യാൻ ബന്ധപ്പെട്ട പുസ്തകങ്ങൾ
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YOGA AND MEDITATION


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अखंड ज्योति कहानियाँ
युग गायन पद्धति
समझदारों से बात इन दिनों बात उनसे कही जा रही, सुन- समझ सोचकर जो अमल कर सकें, आज की बात के मर्म को जानकर, भाव संवेदनाएँ लिए चल सकें। जिन दिनों हो मनुजता लगी दाँव पर, मौत मँडरा रही हो मनुज -गाँव पर, जिन दिनों आँख इनसान की हो विकल, छल छलाई हुई हो मनुज- घाव पर, इन दिनों पीर उनसे कही जा रही, जो न पाषाण हों, पीर से गल सकें। जो ग्रसित हों नहीं संकुचित स्वार्थ से, मुक्त हों लोभ के, मोह के पाश से, रंग,क
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