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Akhand Jyoti
Year 2001
Version 1
महायोगी परमपूज्य गुरुदेव
महायोगी परमपूज्य गुरुदेव
September 2001
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महायोगी परमपूज्य गुरुदेव
योग की पावन पुण्य परम्परा
योग साधना ही लाएगी उज्ज्वल भविष्य इस सदी में
साधना विज्ञान का ककहरा
स्थूल शरीर की योग साधना-कर्मयोग
मैं कौन हूँ का उत्तर देता है ज्ञानयोग
मिलन-विरह और महामिलन पर टिका है भक्तियोग
मूलभूत आधार-अन्नमयकोश की शुद्धि
प्राणशक्ति का सन्तुलन और संकल्पबल का समावेश
ध्यानयोग बनाता है मन को नन्दनवन
आत्मानुभूति योग है आधार विज्ञानमयकोश का
आनन्द से समाधि, स्वर्ग और मोक्ष तक
कामबीज का ज्ञानबीज में रूपान्तरण
विषयासक्ति से मुक्ति-स्वाधिष्ठान की सिद्धि
अनन्त चेतना के विस्तार तक ले जाती है मणिपूर चक्र की साधना
आध्यात्मिक जागरण के साथ भावनात्मक सन्तुलन भी
नादयोग से विशुद्धि चक्र का जागरण
ब्रह्म के साथ एकाकार कर अन्तदर्:ष्टि जगाने वाली आज्ञ्चक्र साधना
सद्गुरु की कृपा से होती है सहस्रार की सिद्धि
कुण्डलिनी शक्ति जागरण का मर्म
सद्गुरु नूर तमाम
हिमालय की छाया, गंगा की गोद में बसा युगतीर्थ
सप्तर्षियों की तपोभूमि शान्तिकुञ्ज
स्वस्थ जीवन का समग्र विधान-योग विज्ञान
योगमार्ग में आने वाले अवरोधों से कैसे बचें
आधुनिक विज्ञान की कसौटी पर योग विज्ञान
ब्रह्मवर्चस शोध संस्थान में परीक्षित हो रहा योगविज्ञान
योग विज्ञान उपयोगी बने, प्रचारकों की मर्यादाएँ बनें
श्रीमद्भगवद्गीता में योग
अपनो से अपनी बात
साधना और साध्य -कविता
सचित्र समाचार
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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