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Akhand Jyoti
Year 1992
Version 1
चेतना के पाँच...
चेतना के पाँच आयाम- पंचकोश
Octuber 1992
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Page Titles
सौन्दर्य और शक्ति का भाण्डागार अपने ही अंतस् में
जीवन यज्ञ, महोत्सव यज्ञ
समझदारों की नासमझी
मरणं बिन्दु पातेन जीवनं बिन्दु धारणात्
नैतिक मूल्यों की असंदिग्ध सार्वभौमिकता
सुव्यवस्था परिष्कृत व्यक्तित्व का चिह्न
बाह्याभ्यन्तरः शुचिः
अणु और आत्मा
विज्ञान भी मानता है अब 'परा' प्रकृति के अस्तित्व को
जय सोमनाथ
संतोषी सर्वदा सुखी
त्याग का मर्म
चेतना के स्तर पर हो रही परिवर्तन प्रक्रिया
देव संस्कृति का प्राण- सदाचरण
अपना कल्पना जगत् हम स्वयं बनाते हैं
चेतना के पाँच आयाम- पंचकोश
सिद्धि का लक्ष्य- आत्मोत्कर्ष
अदृश्य में चल रहे रचनात्मक प्रयास
यहाँ रहस्यमय कुछ भी नहीं है
पाप-पुण्य की स्वसंचालित प्रक्रिया
भय का मनोविज्ञान
बन्धनमुक्ति
क्रान्ति निज के अन्तराल से आरम्भ होगी
मुस्कानः परमात्मा का मनुष्य पर उपकार
विद्याविस्तार का तंत्र विनिमत करने की आवश्कयता
प्रतिभाओं का आह्वान
परम पूज्य गुरुदेव की अमृतवाणी- उपासना सफल कैसे हो?
दिग्-दिगन्त तक संस्कृति चेतना का विस्तार करेंगे- ये अश्वमेध यज्ञ
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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