दहेज दानव से सामाजिक लड़ाई लड़ी जाय

दहेज दानव से सामाजिक लड़ाई लड़ी जाय दहेज के दानव की कूरताएँ दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही हैं । ऐसा कोई भी दिन नहीं बीतता जबकि समाचार पत्रों में दहेज हत्याओं की दो चार खबरें न छपी हों । दहेज प्रथा को रोकने के लिए आए दिन कानून बनाये जाते हैं फिर भी इस दानव की गति रुकती नहीं दिखलाई पड़ती, बढ़ती ही जाती है । कानून अपने स्थान पर उपयुक्त हैं, उपयोगी भी हैं । जरूरत पड़ने पर उन्हें बदला जा सकता है और बदला भी जाता है । परंतु दहेज दानव पर काबू पाने के लिए सामाजिक चेतना जाग्रत करने की आवश्यकता है । यह लड़ाई सामाजिक स्तर पर लड़ी जानी चाहिए और इसके लिए प्रबुद्ध नागरिकों, जाग्रत युवक-युवतियों को आगे आना चाहिए । ऐसे आदर्श प्रस्तुत किए जांय जिन्हें लोग देखें, प्रेरणा प्राप्त करें और अनुकरण की दिशा में कदम बढ़ा सकें । प्रारंभ में हम ऐसी ही कुछ घटनाओं का जिक्र कर रहे है जिनसे हम कुछ सीख सकते हैं । घटनाएं बीस-पच्चीस वर्ष पुरानी है, इससे भी अधिक पुरानी हो सकती हैं परंतु उनसे जो दिशा मिलती है, उसकी अभी भी सार्थकता है । कहना तो यह चाहिए कि इन घटनाओं से प्राप्त प्रेरणा की जितनी उस

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