सुविधा-साधनों की दृष्टि से हम पूर्वजों की दूलना मे कहीं आगे है। विज्ञान और बुद्धिवाद की संयुक्त प्रगति ने अनेकानेक साधन ऐसे प्रस्तुत किये है, जिनकी सहायता से अपेक्षाकृत अधिक सुखी जीवन जी सकते हैं। पूर्वजों को शिक्षा, चिकित्सा, परिवहन, संचार, यातायात, बिजली, तार, डाक, जहाज आदि अनेकी ऐसे सुविधा-साधन उपलब्ध नहीं थे, जैसे आज हैं । उन उपलब्धियों के आधार पर हम अधिक सुखी होना चाहिए था, पर देखते है कि स्थिति और भी गई-गुजरी हो गई है । चिकित्सा और पौष्टिक खाद्यों की सुविधा वाले भी दिन दिन दुर्बल और रुग्ण बनते जाते हैं । उच्च शिक्षित व्यक्ति भी संतुलन और विवेक से रहित चिंतन करते और विधुका रहते देखे जाते हे। गरीबों का उठाईगीरी करना समझ में आ सकता है, पर जो संपन्न है वे क्यों अन्याय-अपहरण की नीति उापनाते हैं, यह समझ सकना कठिन है ।