संसार की सारी सफलताओं का मूल मंत्र है-प्रबल इच्छा-शक्ति। इसी के बल पर विद्या, संपत्ति और साधकों का उपार्जन होता है । यही वह आधार है जिस पर आध्यात्मिक तपस्याएँ और साधनाएँ निर्भर रहती हैं । यही वह दिव्य संबल है जिसे पाकर संसार में खाली हाथ आया मनुष्य वैभव, सम्पन्न, ऐश्वर्यवान बन कर संसार को चकित कर देता है । जीवन में उन्नति और सफलता की आकांक्षा करने से पहले अपनी इच्छा-शक्ति को प्रबल तथा प्रखर बना लेने वालों को न कभी असफल होना पडता है और न निराश ।