आत्मानिवेदन
वर्तमान समय में भारत की जनसंख्या विस्फोट की स्थिति में है ।। एक वर्ष में तीन करोड़ की वृद्धि अत्यंत सोचनीय है ।। जनसंख्या वृद्धि की दर जीवंत- जाग्रत, बुद्धिमान- मनीषियों एवं विभूतिवानों के लिए एक चुनौती है, जिसे उन्हें स्वीकार करना ही पड़ेगा अन्यथा उन्हे भावी पीढ़ी के कोप का भोजन बनना पड़ेगा ।। जिम्मेदारी अतंत: मूर्धन्यों पर ही आती है चोरी कई भी करे लेकिन पहरेदार जम्मेदारी से बच नहीं सकता ।। राष्ट्र के सजग प्रहरी साहित्यकार, धनवान राजनेता, प्रतिभावान एवं कलाकारों को अपनी विभूतियों का नियोजन राष्ट्र की इस सबसे प्रमुख समस्या के निदान कराने में करना चाहिए और उसके निराकरण के लिए सार्थक प्रयास तुरत प्रारंभ कर देने चाहिए अन्यथा आने वाली पीढ़ी यही कहेगी कि हमारे पूर्वज थे तो बुद्धिमान..........