किसी स्थान पर जाने के लिए कदम बढ़ाने से पूर्व उसकी जानकारी आवश्यक है । जब तक यह न मालूम हो कि गंतव्य स्थान की रूपरेखा क्या है ? वहाँ जाने का प्रयोजन क्या है ? तब तक यात्रा सफल नहीं हो सकती है । प्राय: सभी पथिक आवश्यक जानकारी प्राप्त करते हैं, पश्चात् अपना कदम आगे बढ़ाते हैं ।
अध्यात्म पथ पर अग्रसर होने वाले पथिकों के लिए भी यह आवश्यक है कि वे तत्संबंधी आवश्यक जानकारी प्राप्त कर लें । ईश्वर प्राप्ति, मुक्ति और परलोक का सुख, प्राय: यही कामनाएँ इस पथ के पथिकों को होती हैं । इन्हीं कामनाओं से प्रेरित होकर वे इस पथ पर चलना आरंभ करते हैं, परंतु देखा गया है कि कितने ही पथिकों को अपने गंतव्य स्थान के संबंध में, लक्ष्य के संबंध में, पर्याप्त जानकारी नहीं होती । जो होती है उसमें अधिकांश मात्रा में भ्रम सम्मिश्रित रहता है ।
यह पुस्तक अध्यात्म मार्ग के पथिकों की इस कठिनाई को दूर करेगी । ईश्वर, मुक्ति और परलोक की रूपरेखा क्या है ? उन्हें प्राप्त करना क्यों आवश्यक है ? उनके प्राप्त करने का प्रयोजन क्या है ? इन प्रश्नों का उत्तर इस पुस्तक द्वारा भली प्रकार मिल जाएगा और पाठक अभीष्ट पथ पर दृढ़ता तथा उत्साह के साथ कदम बढ़ा सकेंगे । साधना के पथ पर बढ़ने से पहले इस पुस्तक को मनन करने से पाठकों का विश्वास क्षेत्र स्वच्छ तथा पुष्ट होगा, ऐसा हमारा विश्वास है ।