विश्व का कण-कण शक्ति से भरा पडा है। पर दुर्भाग्यवश हम उसके अभाव में पग-पग पर अभाव और कष्ट अनुभव कर रहे है। अणु की शक्ति का क्या ठिकाना सूर्य तो शक्ति का स्त्रोत ही है। गामा किरणें, कास्मिक किरणें, रेडियो किरणें, एक्स किरणें प्रभृति कितनी ही शक्ति धाराएँ लोक-लोकान्तरों से इस पृथ्वी पर आती रहती हैं, उनका एक बहुत छोटा अंश प्रयुक्त होता है, शेष ऐसे ही ही अस्त-व्यस्त होकर विनष्ट हो जाता है।
शक्तिशाती बनने के लिये हमें दो कदम उठाने पडे़ंगे-एक, आस पास बिखरी हुई शक्ति का संचय, दूसरे उसका सदुपयोग । संचय कर सकने की क्षमता न होने से घोर जल वर्षा होते रहने पर भी एक बूँद पानी नहीं मिलता और हाथ मलते रह जाते है ।