संसार में ईश्वर के विषय में विविध मान्यतायें पाई जाती है। कुछ उसे बैकुण्ठ में बैठा हुआ दयासागर और भक्तवत्सल मानते है, कुछ आकाश के अन्तिम छोर पर विराजमान एक न्यायकारी। कुछ उसकी कल्पना मनुष्य शरीरधारी के रुप में, अनेक क्रियाऐ करने वाले कि तरह करते है और कुछ इतना अधिक सूक्ष्म और कल्पानातीत मानते है, कि उसके सम्बन्ध में कुछ जान सकना या अ॓कह सकना सम्भव ही नहीं।