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- भटकन से उबरें, राजमार्ग पकड़ें
- महा-साधक
- उपासना करें तो इस तरह
- भौतिकी व आत्मिकी का समन्वित पुरुषार्थ ही अभीष्ट
- सार्थक ब्राह्मणत्व
- जरूरतें घटें तो अभाव मिटें
- दर्शन बदलता है, युग की परिस्थितियों को
- जन्मा, एक और वाल्मिकी
- यहाँ कुछ भी असम्भव नहीं
- विज्ञान, विकासवाद और भारतीय अध्यात्म
- कैसे बदलेगा, आने वाला समाज?
- तनाव रूपी महाव्याधि एवं उससे छुटकारा
- यथा संस्कृति तथा भाषा
- गुबरीले कीड़ें नहीं, बाग की तितली बनें
- शान्ति का राजमार्ग
- सेवाधर्म, हर दृष्टि से नफे का उपक्रम
- उद्यम से ही होती है कार्यसिद्धि
- दीप पुण्याय नमः
- काम लिप्सा की परिणति दुर्गति
- सूर्य रश्मियों से सम्भव है चिकित्सा
- पतझड़ को वसंत में बदलने का महाकाल का संकल्प
- लालच बुरी बला
- आप हमें गढ़ते रहे- कृपा बिखेरो, पद्म बना दो
- दुर्गति और सद्गति का कारण, हम स्वयं, परम पूज्य गुरुदेव की अमृतवाणी
- विशेष धारावाहिक लेखमाला- युग पुरुष पूज्य गुरुदेव पं( श्रीराम शर्मा आचार्य, 'इक्कीसवीं सदी-नारी सदी' उद्घोष के प्रवक्ता व द्रष्टा