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Akhand Jyoti
Year 1968
Version 1
दोष दृष्टि को...
दोष दृष्टि को सुधारना ही चाहिए
May 1968
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Page Titles
मूल स्रोत का सम्बल-रोम्याँ रोल
ईश्वर हमारा सच्चा जीवन सहचर
प्रेम समस्त सद् प्रेरणाओं का स्रोत
आत्म कल्याण बनाम विश्व कल्याण
सेवा विहीन जीवन- निन्दनीय
कामनायें अशंगत न होने पायें
विचार शक्ति ही सर्वोपरि है
दोष दृष्टि को सुधारना ही चाहिए
परिवार का आदर्श और विकास
शारीरिक श्रम के प्रति अनास्था न रखें
जाति उपजातियों का दायरा चौड़ा किया जाय
गायत्री द्वारा प्राण शक्ति का अभिवर्द्धन
अपनों से अपनी बात-अप्रैल अंक दो बार पढ़ें और कुछ ठोस कदम उठायें
आत्म स्मरण (कविता)
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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