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Akhand Jyoti
Year 2012
verson2
गुरु का विनयशील...
गुरु का विनयशील शिष्य को प्रथम पाठ
May 2012
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Page Titles
आत्मा का संगीत
जनता को जनहित की समझ कराना जनहित का जरूरी मुद्दा
कर्मफल का अकाट्य सिद्धांत
प्रारब्ध रचता है हमारा वर्तमान
भक्ति के भूखे हैं भगवान
भक्ति न जाति देखती है न कुल
वास्तु-भवन निर्माण का प्राचीन विज्ञान
अंतर्प्रज्ञा के समक्ष रखी जिज्ञासा
संवेदना ही है संस्कृति का आधार
अध्यात्म का प्रबुद्ध प्रशिक्षण
कहाँ ले जाएगी हमें ये रफ्तार?
शक्ति के उद्गम स्त्रोत हैं सूर्य
जन-मन को सुखद व सफल बनाती है-माँ गंगा
गायत्री-साधना से बदलता है-भाग्य विधान
विसर्प की आयुर्वेदिक चिकित्सा
योगवासिष्ठ में योगविद्या का अध्ययन
बड़ी अनूठी है संयम की विभूति
गुरु का विनयशील शिष्य को प्रथम पाठ
अमृतवाणी-समझें देववाद का मर्म एवं लें उससे शिक्षण
चेतना की शिखर यात्रा-महायज्ञ का प्रत्यक्ष और परोक्ष
भगवान की विभूतियों का नहीं है कोई अंत
विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन
अपनों से अपनी बात-काल की पुकार सुनें-सच्चे लोकसेवी बनें
सौर वर्ष में सूर्य-साधना (कविता)
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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