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Akhand Jyoti
Year 2012
verson2
शुद्ध चित्त से...
शुद्ध चित्त से होता है दुःखों का नाश
July 2012
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Page Titles
भक्ति
घुमक्कड़ी में कहीं गुम न हो जाए हमारी संस्कृति
गुरु बिन ज्ञान नहीं, नहीं रे
गर्भ से ही दें बच्चों को अच्छे संस्कार
काल गति बलवान
बुद्धि से विशाल है भक्ति का आकाश
अनंत के अंतिम क्षण
शुद्ध चित्त से होता है दुःखों का नाश
अखण्ड ज्योति क्यों पढ़ें? क्यों मँगाएँ?
सृष्टि के सृजेता है सूर्य
प्रायश्चित विधान में है ग्लानि मुक्ति का मार्ग
राजा शिवि की दिव्य परीक्षा
गुल्म की आयुर्वेदिक चिकित्सा
अग्नि पुराण की समग्र विवेचना
चित्त की चंचलता का रूपांतरण है समाधि
श्रीराम भक्त का त्रिगुणातीत स्वरूप
पश्चिम के प्रांगण में वेदों की गूँज
अनंत परमात्मा की हैं सर्वव्यापी विभूतियाँ
चेतना की शिखर यात्रा-संस्कारों का आवेग
अमृतवाणी-अध्यात्म के सही स्वरूप का पुनर्जागरण
विश्वविद्यालय के द्वार पर विचारक्रांति की दस्तक
अपनों से अपनी बात-प्रज्ञा प्रखर करें और श्रद्धा सजल करें
संदेश गुरुवर का (कविता)
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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