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Akhand Jyoti
Year 2004
Version 1
सर्वांगपूर्ण सफलता...
सर्वांगपूर्ण सफलता का राजपथ
January 2004
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Page Titles
रचनात्मक जीवन की साधना
जीवनबोध की प्रकाशपूर्ण भावदशा
चिंतन, चरित्र और व्यवहार-व्यक्तित्व के तीन आयाम
ईश्वर विश्वास से लक्ष्य की प्राप्ति
जीवन-संगीत बजता है सही स्वसस्थ्य के साज पर
तप एवं व्रत करते हैं जीवनचर्या को सुव्यवस्थित
हितभुक् , मितभुक् , ऋतभुक्
पहनावा देश-संस्कृति के अनुरूप हो
कल्पनाएँ सार्थक हों, उनमें गहरी आस्था हो
विकसित संकल्पशक्ति ही आध्यात्मिक प्रगति की परिचायक
जानें सजल संवेदनाओं का मर्म
बुद्धि को प्रखर बनाने के कुछ साधन
कैसे बनें, मेधावी एवं स्मृति के धनी
हो रचनात्मक क्षमता की सही अभिव्यक्ति
प्रखरता विकसित होती है शुभ विधेयात्मक विचारों से
आदर्शों को स्वीकारें, उत्कृष्टता की ओर बढ़े
स्व-मूल्यांकन की एक ही कसौटी-सद्गुणों का विकास
सर्वांगपूर्ण सफलता का राजपथ
पारस्परिक तालमेल एवं व्यवहारकुशलता
विषमताओं में कैसी हो जीवनदृष्टि
तनाव वरदान है, इसे स्वीकार करें
समय की महिमा पहचानें
अभिव्यक्ति प्रभावी हो
जन-नेतृत्व हेतु विशिष्ट गुण
कौन बन सकता है सच्चा जीवनदृष्टा
जीवन-साधना की सरगम बजे इस वसंत पर
परमपूज्य गुरुदेव की अमृतवाणी-जीवन साधना के स्वर्णिम सूत्र
अपनों से अपनी बात-चल पड़े अब जीवन साधना के पथ पर
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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