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Akhand Jyoti
Year 2004
Version 1
मधुविद्या को जानें,...
मधुविद्या को जानें, सविता का अमृत पिएँ
December 2004
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Page Titles
जीवन की सफलता
मन की एक आदर्श अवस्था-मौन
दृश्य से परे भी है एक अलौकिक संसार
अजपा गायत्री और कुण्डलिनी साधना
निन्दा छोड़ो ध्यान सीखो
एक क्रान्तिकारी खोज हमारे जीन्स के गुणें की पहचान
असतो मा सद्गमय
भारत का सांस्कृतिक इतिहास पुनर्जीवित हो
बहिरंग से अधिक प्रभावी होता है अन्तरंग का सौन्दर्य
साधना का प्राण सात्विक आहार
कैसे करें अपनी सम्पत्ति का सार्थक नियोजन
ईष्र्या के विष से दूर रहें, अपनी मौलिकता विकसित करें
मधुविद्या को जानें, सविता का अमृत पिएँ
गीता एक अभियान गीत भगवान के हैं जिसके स्वर
आर्युवेद-२० : आर्युवेद द्वारा मोटापे की सरल चिकित्सा (उत्तरार्द्ध)
भक्तिपूर्वक जप दूर करता है समस्त विघ्न
शिष्य संजीवनी-१५ : सम्वाद की पहली शर्त वासना से मुक्ति
गुरुगीता-२७ : एक ही यज्ञ अहं को भसम कर देना
धर्मतन्त्र का परिष्कार अत्यन्त अनिवार्य
युगगीता-६० : बार-बार मन को परमात्मा में ही निरुद्ध किया जाय
स्वातन्त्र्य या में आहुति-५
महान अभियान की विराट यात्रा, हमारा सौभाग्य तथा दायित्व
अपनों से अपनी बात-२ : सतयुग की वापसी अखण्डज्योति के विस्तार से होगी
विभूति दीपयज्ञ कविता
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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