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Akhand Jyoti
Year 1999
Version 1
युगगीता - ५,...
युगगीता - ५, गुरु हमं आत्मोन्मुख करने के लिए दिखाता है आईना
September 1999
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Page Titles
हृदय द्वार खुले तो सच्ची शिक्षा मिले
इसलिए हमारी संस्कृति महान है
अलग ही होगी तीन सान बाद की दुनिया
वैज्ञानिक अध्यात्मवाद ही बनेगा भविष्य का आधार
मूझे तुम कब्र में कैद नहीं रख पाओगे
मनुष्य की अपनी स्थिति कुछ भी तो नहीं
रेकी -- उपचार ही नहीं , आध्यात्मिक छलांग भी
सफलता का एक ही सूत्र-- नियमितता
मानव ने अपने प्रथम चिह्न देवभूमि भारत मे ही छोड़े
व्रतशीलता अपनाएँ हठावादिता नहीं
इन आकाशीय उत्पातों के संकेत समझें
धरती को अकाल मृत्यु से बचाएँ
जलयानों के प्रेतों के पीछे छिपे रहस्य
मतदाता अपने अधिकार का उपयोग विवेक से करें
लोककतंत्र के अधिष्ठाता की उपेक्षा न करें
भविष्य के पूर्वानुमान कितने सही कितने गलत
देशभक्ति का यह भाव आगे भी जीवंत रहे
युगपुरुष की लेखनी से ...........
लोकसेवियों के लिए दिशाबोध -४
अखण्ड ज्योति आज से पचास वर्ष पूर्व
आपका स्वास्थ्य आर्युवेद के मतानुसार - ६
परमपूज्य गुरुदेव की अमृतवाणी
युगगीता - ५, गुरु हमं आत्मोन्मुख करने के लिए दिखाता है आईना
गुरु कथामृत - २,अलौकिकताओं से भरी लीलापुरुष की जीवन यात्रा
महापूर्णाहुति समीप आ पहुँची , समझ लें हमें क्या करना है
अपनों से अपनी बात-युग परिवर्तन की वेला में आया है यह चुनावी महायज्ञ, धर्मतंत्र सँभाले भावनात्मक परिष्कार की महती जिम्मेदारी
स्वदेश् जाँबाज सैनिकों से (कविता) -शचीन्द्र भटनागर
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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