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Akhand Jyoti
Year 1999
Version 1
परमपूज्य गुरु देव...
परमपूज्य गुरु देव की अमृतवाणी - फिजाँ बदल देती है अवतार की गाँधी
December 1999
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Page Titles
आदर्शोन्मुखी व्यक्तित्त्व
प्रभावी स्वप्रबंधन
राम सनेही ना मरे , कहै कबीर समुझाए
संबंधों में सन्नाटा बुन गए ढाई दशक
भावों के उतार- चढ़ाव ही हमें रोगी बनाते हैं
महाशक्ति से साक्षात्कार
संवेदना जगाएँ - सिद्धि हस्तगत करेंे
आस्था के केंन्द्रों पर इसलिए सब न्योछावर
याद करें परम पिता के संरक्षण को
भीमकाय शरीर- बौना सा मन
जानें स्वर विज्ञान का मर्म
समूह साधना से अपना भी - औरों का भी कल्याण
राजनीति का विकल्प बनने जा रहा है धर्मतंत्र
यज्ञ एक दिव्य अनुष्ठान , श्रेष्ठतम कर्म
वन ही हमें बचाएँगे घुटनभरी आत्महत्य से
उत्कृष्ट चिंतन की ऊर्जातरंगों बनाती हैं सशक्त वातावरण
घर में रसोईकक्ष की स्थिति क्या हो
गीताजयंती के संदर्भ में - इतना आसान नहीं गीता को पढ़ना-समझना
लोकसेवियों को दिशाबोध -७, लोकसेवी की प्रमाणिकता व्यक्तित्त्व के स्तर पर निर्भर
परमपूज्य गुरु देव की अमृतवाणी - फिजाँ बदल देती है अवतार की गाँधी
युगगीता - ८, कैसे हो आसक्ति से निवृत्ति
अखण्ड ज्योति आज से पचास वर्ष पूर्व- गायत्री साधना से अनेकों प्रयोजनों की सिद्धि
गुरुक थामृत - ५, 'पाती ' जो आत्मसत्ता को जगाने के लिए लिखी गई
अपनों से अपनी बात - अखण्ड ज्योति का प्रकाश विश्व मानस को आलोकित करेगा, महापूर्णाहुति वर्ष में ब्रह्मास्त्र अनुष्ठान के पुण्यफल प्राप्ति का अलभ्य सौभाग्य प्राप्त करें
ऋषियुग्म की सूक्ष्मसत्ता की परिजनों से अपील
क्रान्ति की लपटें (कविता) -मंगल विजय
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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