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Akhand Jyoti
Year 1992
Version 1
भ्रान्तियों ने बढ़ाया...
भ्रान्तियों ने बढ़ाया है नास्तिकता को
April 1992
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Page Titles
आज के संदर्भ में धर्म
परिवर्तन- एक सुनिश्चितता
आत्मोन्मुखी हूजिए
भगवद् भक्ति का मर्म
लोकोत्तरवासियों के आगमन से लाभ उठाया जाय
सफलता की कुंजी आशावादी मनःस्थिति
एक और शुनःशेप चाहिए
हर दिन नया जन्म-हर रात नयी मौत
सच्च शौर्य है, अपने आप पर विजय
अनुदानों वरदानों को हस्तगत करने का सुनिश्चित आधार
परम तीर्थ का वास
यहाँ न तो कोई संयोग है, न आकस्मिकता
मानवी मन में निहित सुपरचेतन
प्रत्यक्ष से परे परोक्ष
सृष्टिके अनसुलझे रहस्य
जाग्रत् विवेक द्वारा ही समाधान सम्भव
भ्रान्तियों ने बढ़ाया है नास्तिकता को
सच्चा विरक्त
पूर्णता की ओर अग्रसर हम सब
जागे मनीषा, युग परिवर्तन हेतु
विक्षुब्ध आत्माएँ ही प्रेत बनती हैं
ऐसे बहती है, संस्कृति की मन्दाकिनी
कमाई जो किसी के काम न आई
ब्रह्मशक्ति गायत्री और उसका सोम अमृत
संकल्प शक्ति ही पहुँचाती है साधक को लक्ष्य तक
असामान्य है, प्रस्तुत नवरात्रि पर्व
उतिष्ठ युद्धस्व भारत
परम पूज्य गुरुदेव की अमृतवाणी-नवरात्रि साधना का तत्त्वदर्शन
परम पूज्य गुरुदेव-लीला प्रसंग
अपनों से अपनी बात- देव संस्कृति को विश्वव्यापी बनाने, घर-घर पहुँचाने की पावन प्रतिज्ञा
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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