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Akhand Jyoti
Year 1990
Version 1
विद्या-विस्तार आज की...
विद्या-विस्तार आज की सवोर्परि सेवा साधना
December 1990
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Page Titles
परिष्कृत दृष्टिकोण ही स्वर्ग है
प्यार-प्यार में अन्तर
आइए, चेतना के विज्ञान पर शोध करें
स्थूल से परे सूक्ष्म की सामर्थ्य
कूड़े के ढेर से जन्मा एक महामानव
ईश्वर का अस्तित्व एवं अनुभूति
उनके शरीर से शोले फूटते हैं
दैवी-प्रेरणा बनाम् अन्तःकरण स्फुरणा
मैं व्यक्ति नहीं विचार हूँ
विधाता के साथ समस्वरता
गायत्री का ब्रह्मवचर्स
उज्ज्वल भविष्य सम्बन्धी पूवार्नुमान भी सम्भव
जब संवेदना का अंकुर पल्लवित हुआ
ध्यान साथर्क कब बनता है
अहिंसा के नूतन आयाम
उत्कृष्टता का सृजन
व्यावहारिक अध्यात्म का मर्म
हमारा चिरपुरातन गौरव एवं बहुमूल्य थाती
युग के विश्वामित्र द्वारा राम, लक्ष्मण की मांग
अध्यात्म भगोड़ों का नहीं शूरवीरों का क्षेत्र
साहित्य दिव्य जीवन का मानचित्र
कौन करेगा भावी युग का नेतृत्व
उच्चस्तरीय सान्निध्य की परिणति
वसुधैव कुटुम्बकम की ओर बढ़ते चरण
क्षमतावान नहीं प्रतिभावान
युगधर् मका निवार्ह में ही समझदारी
मधु संचय
कुरीतियों की बेड़ी जिन्हें जकड़ न सकी
शतायु जीवन का मर्म
साधक का सात्विक आहार-विहार
विद्या-विस्तार आज की सवोर्परि सेवा साधना
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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