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Akhand Jyoti
Year 1988
Version 1
ज्योति जागरण एवं...
ज्योति जागरण एवं युगधर्म का निर्वाह
January 1988
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Page Titles
अखण्ड ज्योति का स्वरूप और प्रभाव
ज्योति जागरण एवं युगधर्म का निर्वाह
यह आलोक विश्वमानव का अन्तःकरण छुएगा
एक महती आवश्यकता की आश्चर्यजनक आपूर्ति
स्वाध्याय, सेवा और सृजन
युगचेतना को व्यापक बनाने का प्रयतन
प्राणाग्नि की ज्योति-ज्वाला
शान्तिकुंज गायत्री तीर्थ
देवात्मा में ऋषिकल्प ऊर्जा
ज्योति फिर भी बुझेगी नहीं
जीवन साधना एक सुयोग सौभाग्य
सत्रों की रूपरेखा और प्रक्रिया
पत्राचार विद्यालय भी
लोकशिक्षण के बहुआयामी प्रयोग
वनौषधि विज्ञान का पुनर्जीवन
सर्वांगपूर्ण स्वास्थ्य की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम
ब्रह्मवर्चस् के तीन विशिष्ट शोध प्रयोजन
शोध अनुसन्धान की प्रगति एवं भावी संकल्पनाएँ
ज्योतिर्विज्ञान का दृश्य गणित
प्रभाव का ज्वलन्त उदाहरण
आन्दोलन का महत्त्व एवं अभियान की सार्थकता
वसन्त की प्रेरणाएँ, नयी स्थापनाएँ
अपनों से अपनी बात ः सृजन के लिए समयदान की याचना
स्वार्थ और परमार्थ का शानदार समन्वय, अति महत्त्वपूर्ण अभिनव प्रशिक्षण
पाँच सौ गुना होना अपर्याप्त है, लक्ष्य हजार गुने का है
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
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धी
म
हि
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यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
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