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Akhand Jyoti
Year 1980
Version 1
गायत्री चरण पीठें...
गायत्री चरण पीठें और नव सृजन की सम्भावनाए
August 1980
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Page Titles
देवत्व पर विजय
यात्रा शून्य नगर से भविष्य नगर की
यह अलभ्य अवसर यों ही न चला जाय
कृतज्ञ नहीं वह मनुष्य नहीं
आत्मिक प्रगति का मूल आधार श्रद्धा
सारी पृथ्वी साबुन न बन जाय
संकटों के निराकरण में आस्तिकता का योगदान
अविज्ञात सृष्टि के अविज्ञत रहस्य
प्रकृति का गला न घोंट दिया जाय
श्यारीराणि विहाय जीर्णानि अन्यानि संयाति नवानि देही
तात्कालिक नहीं दूरवर्ती हितों को प्रश्रय मिले
दोष मत दीजिये, कैच ठीक करिये
ग्रहों के प्रभाव का लाभ उठायें
यन्त्र मानवों की गुलामी के लिए तैयार रहें
परम्पराएं नहीं उनकी प्रासंगिकता महत्वपूर्ण है
भोजन ही नहीं शोधन भी
तीसरे विश्वयुद्ध की सर्वनाशी विभीषिका
मृत्यु पर्यन्त चिर युवा कैसे रहे?
अपनों से अपनी बात -समय की विषमता और जीवन्तों का उत्तरदायित्व
वृधा अवस्ग्था अर्थात अम्रृत-आनन्द
शिक्षा का आदर्श क्या होना चाहिए
गायत्री चरण पीठें और नव सृजन की सम्भावनाए
स्वर गूंजे निर्माण के
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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