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Akhand Jyoti
Year 1978
Version 1
अपनों से अपीन...
अपनों से अपीन बात- समयदान की श्रद्धाञ्जलियाँ 'प्रव्रज्या' के लिए
October 1978
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Page Titles
वैभव की जड़ें अन्तरंग की गहराई तक धँसी होती हैं
आत्मज्ञान से कल्याण
भगवान् बुद्ध-उनका मार्ग और व्यक्तिव
मानवी सार्मथ्य और प्रकृति से भी वृहत्तर शक्ति
आत्म-परिष्कार की तीन सरल किन्तु महान् साधनाएँ
विषया शक्ति के मायावी घेरे
विज्ञान और अध्यात्म का समन्वय सन्निकट
विस्तार को नहीं स्तर को महत्त्व दिया जाय
इस संसार में रहस्य कुछ नहीं सर्वत्र नियम और व्यवस्था ही है
प्रेम मानव जीवन की सर्वोपरि सम्पदा
समर्थक सहयोग का पातक
स्मरण शक्ति प्रयत्न पूर्वक बढ़ाई जा सकती है
समय और साधनों की अस्त-व्यस्तता पर भी ध्यान दें
दान की महिमा और भिक्षा की गरिमा
कर्मफल का प्रारब्ध में भुगतान
अनुत्तरित प्रश्न-सटीक समाधान
विलुप्त जीवन ही नहीं, मनुष्य भी होगा
अवांछनीयता को अस्वीकार कर दें
विग्रहों का कुचक्र और उसका निराकरण
प्रभावी प्रशिक्षण के लिए उपयुक्त वातावरण की आवश्यकता
संयम बनाम समर्थता बनाम सुनिश्चित जीवन
अपनों से अपीन बात- समयदान की श्रद्धाञ्जलियाँ 'प्रव्रज्या' के लिए
कुछ आवश्यक ज्ञातव्य एवं अनुरोध
मौन-भंग (कविता) --मंगल विजय
मौन-भंग
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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