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Akhand Jyoti
Year 1977
Version 1
ब्रह्मवर्चस सत्र- साधकों...
ब्रह्मवर्चस सत्र- साधकों के अनुभव
January 1977
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Page Titles
साधना स्वर्ण जंयती वर्ष की पूर्णाहुति
अन्तर की गहराई में उतरें -वल्ला तोल
एक दृश्य, एक तथ्य
इस संसार की यथार्थता समझें और तत्त्व दृष्टि प्राप्त करें
आत्मोत्कर्ष के चार अनिवार्य चरण
मरने के बाद फिर से जन्म लेना पड़ता है
योग साधना का उद्देश्य, चित्तवृत्तियों का निरोध
मनुष्येत्तर प्राणियोंकी भाषा भी समझी जाय
सहकारिता और आदान-प्रदान का ब्रह्माण्डव्यापी तथ्य
ध्यान, धारणा का उपयोग और अभ्यास
मंत्र में शब्द चरित्र और भावना समन्वित शक्ति
विकास और विनाश का गति चक्र
समर्थन और सहयोग
मन की संस्कार साधना तपश्चर्या द्वारा
मनुष्य की अन्तःशक्ति के विभिन्न प्रयोग
उज्ज्वल भविष्य के लिए सुविकसित सन्तान की आवश्यकता
औषधि सेवन में सतर्कता की आवश्यकता
भले ही थोड़ा करें पर करें उत्कृष्ट
ब्रह्मवर्चस सत्र- साधकों के अनुभव
सब कुछ नहीं- उपयोगी और सीमित ही
अपनों से अपनी बात-शान्तिकुञ्ज में महिला सत्रों की नई व्यवस्था
हमारा संकल्प (कविता) -माया वर्मा
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
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नः
प्र
चो
द
या
त्
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