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Akhand Jyoti
Year 1977
Version 1
अपनों से अपनी...
अपनों से अपनी बात- पुनर्गठन का उद्देश्य और स्वरूप समझा जाय
August 1977
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Page Titles
परिष्कृत अन्तःकरण मानव जीवन की श्रेष्ठ उपलब्धि
सच्चिदानन्द-परब्रह्म-परमात्मा
वैज्ञानिक दृष्टि में ईश्वर का स्वरूप
जीवन देवता की आराधना और सिद्धि उपलब्धि
मृत्यु और जीवन पर एक दृष्टि
कौन सुखी? कौन दुःखी?
सूक्ष्म जीवों की दुनिया में प्रवेश को मानवी प्रयतन
अवरोधों पर पुरुषार्थ की विजय
सहिष्णुता कायरता नहीं शक्ति है
विनम्र दृढ़ता ही व्यक्तित्व की शोभा
आरोग्य और दीर्घ जीवन इस तरह प्राप्त करें
हमारे भोजन में जीवन-तत्त्व अवश्य हों
विचार शक्ति की अनन्त सार्मथ्य
स्वतंत्र चिन्तन की गति अवरुद्ध हुई तो सर्वनाश सुनिश्चित है
तपश्चर्या से प्रसुप्त शक्तियों का जागरण
आत्म साधना का उपयुक्त वातावरण हिमालय की छाया में
अपनों से अपनी बात- पुनर्गठन का उद्देश्य और स्वरूप समझा जाय
चला बिन साधनों के वीर (कविता) -माया वर्मा
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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