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Akhand Jyoti
Year 1976
Version 1
आत्मा का अस्तित्व...
आत्मा का अस्तित्व झुठलाया न जाय
September 1976
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Page Titles
सफलता आत्म विश्वासी को मिलती है -विवेकानन्द
भाग्य का बीज पुरुषार्थ
आत्मा का अस्तित्व झुठलाया न जाय
यांत्रिक जीवन में हमारी खो रही संवेदना
ब्रह्माण्ड में पदार्थ की तरह चेतन भी भरा पड़ा है
व्यावहारिक वेदान्त
धर्म एक परिष्कृत दृष्टिकोण
आत्मिक और भौतिक प्रगति का संतुलन
अतीन्दि्रय क्षमता और उसके उद्गम स्रोत
मनुष्य को कृमि कीटकों से ऊँचा तो होना चाहिए
संकीर्ण स्वार्थपरता ही पतन का मूल करण
क्या हम सचमुच ही मर जायेंगे
अहिंसा कितनी व्यावहारिक कितनी अव्यावहारिक
एक आँख दुलार की एक आँख सुधार की
मंत्र शक्ति और देव सत्ताओं का तारतम्य
उपवास-आरोग्य का संरक्षक
यथार्थ्ाता और एकता में पूर्वाग्रहों की प्रधान बाधा
खाद्यान्नें की दुर्गति बनाने वाली र्दुबुद्धि त्यागें
आत्महत्या पलायन ही नहीं प्रतिशोध भी
हमारी प्रशिक्षण प्रक्रिया का अगला चरण
अपनों से अपनी बात- साधना स्वर्ण जंयती वर्ष में न्यूनतम इतना तो करना ही है
सबेरा हो रहा है (कविता) -लाखन सिंह भदौरिया
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
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नः
प्र
चो
द
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त्
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