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Akhand Jyoti
Year 1976
Version 1
अपनों से अपनी...
अपनों से अपनी बात-नव निर्माण के प्रयासों मं तीव्रता अपेक्षित है
June 1976
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धर्म चेतना का अधिक विस्तृत प्रयोग
सम्पत्ति ही नहीं सदाशयता भी
कठिनाइयों से डरें नहीं, उन्हें खिलौना भार समझें
कर्म के बिना हमारा काम नहीं चलेगा
प्रगति तो हुई पर किस दिशा में
निकट भविष्य में यह परिस्थितियाँ सामने आयेगी
मानवी प्रगति में अपना नगण्य, किन्तु महत्त्वपूर्ण योगदान
श्री को इतना महत्त्व किसलिए
चन्द्र मान्यताएँ कितनी वास्तविक कितनी अवास्तविक
वातावरण प्रदूषण का क्या कोई समाधान है
मैं के जानने में ही ज्ञान की पूर्णता है
हम अहंकारी नहीं स्वाभिमानी बनें
लापरवाही राई जैसी हानि पहाड़ जैसी
काश हम ध्वंस छोड़कर सृजन में लग सकें
महत्त्वाकांक्षाओं की उद्विग्नता, अवांछनीय और अहितकर
वेदान्त पलायनवादी दर्शन नहीं है
योग का वामावारी प्रयोग रोका जाय
नेकी कर और दरिया में डाल
सूर्य सेवन हमारे लिए परम उपयोगी
र्दुबुद्धि महान् उपलब्धियों को भी विभीषिका बना देगी
दुध पीना है तो गाय का ही पियें
हम अपना उत्तरदायित्व समझें और उन्हें निबाहें
प्रसन्नता स्वयं सिद्ध उपलब्धि
सुसन्तति प्राप्ति के उपहासास्पद प्रयतन
नीति पूर्वक कमायें विवेक पूर्वक खायें
अपनों से अपनी बात-नव निर्माण के प्रयासों मं तीव्रता अपेक्षित है
पात्रता का अभाव (कविता) -डॉ० हरगोविन्द सिंह
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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