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Akhand Jyoti
Year 1974
Version 1
मृत्यु और जीवन...
मृत्यु और जीवन का अन्तर पुनर्जीवन का प्रश््न
September 1974
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Page Titles
समुद्र मंथन के तीन दिव्य रतन
केवल औचित्य का मार्ग ही अपनावे
जीवन विनाश का चक्र क्रम
ईश्वर की समीपता और दूरी की परख
कोशाओं की अन्तरंग शक्ति का परिष्कार
जीवन लक्ष्य की प्राप्ति दूरदर्शी दृष्टिकोण से
मृत्यु और जीवन का अन्तर पुनर्जीवन का प्रश््न
अन्तरात्मा को तृपित देने वाली आनन्दानुभूति
अन्धकार का निराकरण आदर्शवादी व्यक्तित्व ही करेंगें
क्या प्रेतात्माओं का अस्तित्व काल्पनिक है
मानसिक उद्वेग जीवन विनाश के प्रमुख कारण
प्रतिभा का प्रयोग सर्वनाश के लिए
बढ़ती हुई जनसंख्या का संकट
अतीत की खोई गरिमा हम पुनः प्राप्त करें
असफलता को अभिशाप न समझें
धर्म युद्ध में लड़ने वाले सच्चे शूरवीर
जल के उपयोग में कंजूसी न करें
डबलरोटी और डबल खोटी
श्रम-साधना के सत्परिणाम सुनिश्चित है
अपनों से अपनी बात
शान्तिकुञ्ज हरिद्वार की प्रशिक्षण सत्र शृंखला
नये चित्र में फिर, नया रंग भर दे
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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