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Akhand Jyoti
Year 1973
Version 1
अपनों से अपनी...
अपनों से अपनी बात
January 1973
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Page Titles
अनुशासन सीखिये
भावनाएँ भक्ति मार्ग में नियोजित की जायें
उच्चस्तरीय अध्यात्म साधना के तीन चरण
अपनी आत्मा सर्वत्र बिखरी पड़ी है
मनुष्य की तेजस्विता का अन्तनहित स्रोत भण्डार
मूत पूजा का औचित्य
मनुष्य में अलौकिक क्षमताएँ भरी पड़ी हैं
समाज सेवा में परमार्थ ही नहीं स्वार्थ भी सन्निहित है
महानता के साथ अवरोध भी जुड़े हुए हैं
अनुवांशिकी प्रगति में आत्मबल का प्रयोग करना होगा
भीड़ का नहीं- न्याय का राज्य चले
संगठन और सहयोग पर सृष्टि व्यवस्था टिकी है
हम आत्म गरिमा का अनुभव करें और हम किसी से न डरें
क्या हम जीवित हैं क्या हम जीवितों जैसे काम करते हैं
जिन्दगी जीनी हो तो इस तरह जियें
संगीत शब्द ब्रह्म की स्वर साधना
दीर्घायु और सरल जीवन की पगडण्डी
वाणी सोच समझ कर और विचार पूर्वक बोले
स्वाध्याय और मनन मानसिक परिष्कार के दो साधन
कानून न्याय की आत्मा का हनन न करने पाये
प्रत्यक्षवादी मान्यतायें सर्वथा सत्य कही है
धर्म को दिमागी बीमारी बताने वाली भ्रांत मनोवृत्ति
मंत्रों की सफलता वाक् पर निर्भर है
अपनों से अपनी बात
तैरने वाले कहाँ हैं?
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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