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Akhand Jyoti
Year 1972
Version 1
साहस के रहते...
साहस के रहते अपंगता बाधक नहीं
August 1972
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Page Titles
उसे अवश्य पा लोगे
सुख शान्ति का राजमार्ग – धर्माचरण
उपासनाऎं सफ़ल क्यो नही होतीं ?
मंत्र साधना के आधार और चमत्कार (२)
शक्ति सागर की प्रचण्ड लहरें - ब्रह्माण्ड किरणे
पाप और ईश्वर के अतिरिक्त अन्य किसी से समेत डरिये
समग्र अध्यात्म – प्रेम,ज्ञान और बल का समन्वय
प्राणधारियो मे अतीन्द्रिय चेतना विद्यामान है
भगवान के लिये द्वार खोले - स्थान बुहारें
शरीरगत ऊर्जा एक प्रचण्ड शक्ति - भाण्डागार
मृत्यु को न जाने हम क्यो भूल बैठे हैं ?
ईश्वर की सर्वोत्कृष्ट कलाकृति असम्मानित न हो
सन्मार्गगामी को दैवी सहायता मिलती है
उत्तेजित कामक्रीडा से प्राणशक्ति का क्षरण
विवाह की सफ़लता - सघन आत्मीयता पर निर्भर है
आहार हमें मनस्वी और आत्मशक्ति सम्पन्न भी बना सकता है
ब्राह्मणत्व जन्म से नही, कर्म से
कुमारी कन्याओ की आध्यात्मिक गरिमा
धार्मिक अन्धविश्वास ने अगणित निरीहो का रक्त बहाया है
जाइये, पहले रुठे को मनाइये
भय आधी मृत्यु
लोकोपयोगी बनिये लोकप्रिय बनिये
सम्पदा नही महानता श्रेयस्कर है
साहस के रहते अपंगता बाधक नहीं
अपनो से अपनी बात
आत्मविश्वासी पर ही दुसरे भी विश्वास करते हैं
बोलो साहस की जय
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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