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Akhand Jyoti
Year 1970
Version 1
अपनों से अपनी...
अपनों से अपनी बात- हमारी श्रद्धा अब सक्रियता के रूप में बदले
September 1970
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Page Titles
कर्मों की खेती-स्वामी विवेकानन्द
अधूरी साधना-अपूर्ण फल
ईश्वर बोध की सर्व सुलभ साधना-प्रेम
सद्वाक्य - अन्त गति
रमणीक देहनगरी- एक देव उद्यान
Quotation- विदुर-नीति
हम अणु से ही उलझे न रहें ‘विभु बनें’
Quotation-महात्मा-गान्धी
Quotation
प्रपंच प्रेम नहीं- निःस्वार्थ प्रेम
Quotation
अनासक्त कर्मयोग और उसका दर्शन
Quotation-नीति-श्लोक
Quotation-लघु-कथा
कुसंस्कार धोते चलें- अगला जन्म पछतावा न बने।
Quotation-नीति-श्लोक
Quotation-लघु-कथा
विस्तार की धुन में सिमट रही दुनिया
Quotation
Quotation-बड़ा कौन ?
हड्डियाँ कमजोर करनी हो तो मांस खाइये + सद्वाक्य
सिद्धि से श्रेष्ठ सन्निद्धि
कठिनाइयाँ हमारे व्यक्तित्व को प्रखर बनाती हैं
Quotation
Quotation
जनसंख्या निरोध की निर्दय किन्तु प्राकृतिक प्रविधि
प्रकृति के अनोखे योगी
Quotation-लघु-कथा
सन् २००० और उसके पूर्व के ३० वर्ष
Quotation
Quotation-लघु-कथा
मैत्रेयी- जिसने धन नहीं आत्म कल्याण चाहा
सम्पूर्ण दृष्य प्रकृति सूर्य प्रकाश की अनुकृति
Quotation
Quotation-लघु-कथा (पहले अपने आपको सम्भालो)
वासनाओं के कुचक्र में आत्मबल का ह्रास
Quotation
प्रकृति का निर्मम सत्य वीर भोग्य वसुन्धरा
Quotation-लघु-कथा (शरीर से बड़ी सामर्थ्य-बौद्धिक सामर्थ्य)
एक अंग्रेज आत्म तत्त्व की खोज में
Quotation
Quotation-लघु-कथा
संस्कारत द्विजोच्यते
वायु प्रदूषण से हमें यज्ञ बचायेंगे
Quotation
Quotation
विज्ञान ने समस्याएं सुलझाईं कम, उलझाईं अधिक
Quotation
Quotation-अन्तिम सन्देश
सात लोक- जीवों की सात अवस्थायें
Quotation
अपनों से अपनी बात- हमारी श्रद्धा अब सक्रियता के रूप में बदले
Quotation- सन्देश
राजनीति पर धर्म की विजय
स्नेह-दीप धरना (कविता) -बाबूलाल जैन
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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