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Akhand Jyoti
Year 1969
Version 1
मेरी भावना (कविता)...
मेरी भावना (कविता) -युगल किशोर मुख्तार
July 1969
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Page Titles
कर्म ही ईश्वर उपासना-मैनली हाप्किन्स
ईश्वरीय सत्ता पर अविश्वास न करें
प्रेम-अमृत से बढ़कर मधुर कुछ नहीं
आत्मवत् सर्व भूतेषु
छोटे से छोटा और बड़े से बड़ा - मैं हूँ
हमारा दृष्टिकोण अध्यात्मवादी हो
जो दिखाई देता है वह भी सत्य नहीं
मनुष्य जीवन का उद्देश्य समझे और उसे पूरा करे
रोगों की गाँठ तन में नहीं मन में
धर्मोरक्षति रक्षिताः
सेवा का अवसर हर समय
एषणाओं की आग में न मरें
श्रद्धावान् लभते ज्ञानम्
मानवेत्तर प्राणियों की दुनियां भी मनुष्यों जैसी
यज्ञीय वातावरण का स्वास्थ्य पर प्रभाव
विनोद प्रिय भगवान् का मनोरंजन दरबार
समस्त दुःखों का मात्र एक कारण- अज्ञान
स्वर्ग की स्थिति और उपलब्धि
रंगों में शोभा ही नहीं शक्ति भी है
हमारे अधिक विरोधी इसलिए बनते हैं
वैज्ञानिक अन्ध विश्वास और उसकी लाल रोशनी
अपनों से अपनी बात-अगले दिन सौम्य समता की प्रतिष्ठापना होनी ही है
मेरी भावना (कविता) -युगल किशोर मुख्तार
परलोक को भूल कर कही आपको भी पछ्ताना न पडे ?
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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