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Akhand Jyoti
Year 1967
Version 1
नीलकण्ठ विष पियो...
नीलकण्ठ विष पियो (कविता)
May 1967
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Page Titles
मानव जीवन का अनुपम सौभाग्य-संत तिरुवल्लुवर
दान- अहसान नहीं एक प्रायश्चित
ज्ञान कर्म और भक्ति योग की समग्र साधना
गहरे पानी पैठ, जिन खोजा तिन पाइयाँ
जिज्ञासा जगाइये और ज्ञान भण्डार भरिये
सुख-दुःख हमारे कर्मों का ही फल है
प्रगति के पथ पर नित्य नये कदम बढ़ते हैं
सामूहिक उपवास द्वारा राष्ट्र एवं आत्मा की सेवा करिये
देव दर्शन के पीछे दिव्य-दृष्टि भी रहे
महत्ता प्राप्ति से उद्धत न बना जाय
स्वच्छ रहे उच्च बनें
पंच गव्य की तेजवद्धनी जीवनदायिनी शक्ति
गायत्री का स्त्री स्वरूप क्यों
यह पुण्य परम्परा इस मास से आरम्भ कर ही दें
नीलकण्ठ विष पियो (कविता)
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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