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Akhand Jyoti
Year 1959
Version 1
शक्ति और धर्म...
शक्ति और धर्म के सामञ्जस्य से विश्व शांति
February 1959
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Page Titles
मङ्गल मन्दिर द्वार ( कविता )
सत्य को प्रमाणों की आवश्यकता नहीं
मानवता और गायत्री
दैवी दण्ड - विधान और हमारे आचरण
महानता को प्राप्त कीजिए !
वर्तमान दूषित सामाजिक ब्यस्था ही दुख का मूल है
शक्ति और धर्म के सामञ्जस्य से विश्व शांति
पहले अपना सुधार कीजिये
मानव - जीवन में समन्वयवाद की आवश्यकता
भगवान सूर्य ही जगत के आत्मा हैं !
सांस्कृतिक पुनरु त्थान के लिए हमारा सङ्गठन
दुर्गापूजा से पशुबलि का कोई सम्बन्ध नहीं
संस्कारों और त्यौहारों में सामूहिकता की आवश्यकता
अपने शत्रुओं की तरफ से सावधान रहें
प्राचीन भारत में वैज्ञानिक उन्नति
पुनर्जन्म का सिद्धान्त और विज्ञान
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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