श्रेष्ठ मनुष्यों की मित्रता पत्थर के समान सुदृढ़, मध्यम मनुष्यों की बालू के समान और निकृष्ट मनुष्यों की पानी की लकीर जैसी क्षणिक होती है। इसके विपरीत श्रेष्ठ जनों का बैर पानी की लकीर जैसा, मध्यमों का बालू जैसा और निकृष्ट जनों का बैर पत्थर जैसा होता है।
-भर्तृहरि